डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है जो व्यक्ति की भावनाओं, व्यवहार और जीवन गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
यह असामान्य उदासी, निराशा, आत्मसंयम की कमी, नींद की समस्याएं, रुचि की कमी और अधिक चिंता का अनुभव करने से चरित होती है।डिप्रेशन का कारण एकाधिक हो सकते हैं जैसे दैनिक जीवन की तनावपूर्ण जिंदगी, रिश्तों में समस्याएं, नियंत्रण से बाहर की भावनाओं, सामाजिक और आर्थिक तनाव और भौतिक संकट आदि। यह भी एक मुख्य कारण है कि कुछ लोगों को जीने के लिए इच्छा नहीं होती है और वे आत्महत्या की तरफ रुझान दिखाते हैं।
यह एक गंभीर बीमारी होती है और इसका समय पर इलाज करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। उपचार आमतौर पर एक या एक से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा व्यक्ति की स्थिति के अनुसार निर्धारित किया जाता है। इस रोग का इलाज दवाओं, चिकित्सा, मनोरोग चिकित्सा, आध्यात्मिक चिकित्सा, योग और मेडिटेशन के जरिये किया जा सकता है |
डिप्रेशन के लक्षण :-
डिप्रेशन एक मानसिक समस्या होती है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। इसके लक्षण व्यक्ति के भावनात्मक स्थिति और संवेदनशीलता में बदलाव पर निर्भर करते हैं। इसमें निम्नलिखित लक्षण शामिल हो सकते हैं:
1. उदास महसूस होना: व्यक्ति अपनी निजी जिंदगी से प्रभावित होता है और उदास या निराशावादी महसूस करता है।
2. असंतुलित भावनाएं: व्यक्ति असंतुलित और निरंतर उदासीन महसूस करता है।
3. नींद की कमी: व्यक्ति को नींद नहीं आती है या वह नींद में प्रतिरोध करता है।
4. खाने की चाह न होना: व्यक्ति को भोजन करने में रुचि नहीं होती है या उसकी भूख पर कोई असर नहीं होता है।
5. अपने अंदर से अलग महसूस करना: व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि वह दूसरों से अलग हो गया है और किसी भी विषय पर बातचीत करने में उसे दिक्कत होती है।
6. शारीरिक दर्द: डिप्रेशन के लक्षण में पुरुषों को शारीरिक दर्द, थकान या अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।
7. अधिक शराब या नशीले पदार्थों का सेवन: डिप्रेशन में पुरुष अक्सर अधिक शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।
8. बेचैनी या घबराहट: पुरुष डिप्रेशन में आकर बेचैन हो जाते हैं और अक्सर घबराहट महसूस करते हैं।
9. चिंता या अफ़सोस: डिप्रेशन में पुरुषों को अपनी जिंदगी, भविष्य या परिवार से संबंधित चिंताएं या अफ़सोस महसूस होता है।
10. सामाजिक गतिविधियों से अलग होना: डिप्रेशन के समय बच्चों को अपने सामाजिक गतिविधियों से अलग होना पड़ सकता है।
डिप्रेशन होने का कारण :-
अवसाद के कई संभावित कारण हैं। वे जैविक से लेकर परिस्थितिजन्य तक हो सकते हैं।
1 . मस्तिष्क रसायन:- मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में एक रासायनिक असंतुलन हो सकता है जो अवसाद वाले लोगों में मनोदशा, विचार, नींद, भूख और व्यवहार का प्रबंधन करता है।
2 . हार्मोन का स्तर :- मासिक धर्म चक्र, प्रसवोत्तर अवधि, पेरीमेनोपॉज़, या रजोनिवृत्ति के दौरान अलग-अलग समय के दौरान महिला हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में परिवर्तन, सभी व्यक्ति के अवसाद के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
3 .बचपन का आघात होना :- कुछ घटनाएँ आपके शरीर के डर और तनावपूर्ण स्थितियों पर प्रतिक्रिया करने के तरीके को प्रभावित करती हैं।
4 . मस्तिष्क संरचना :- अगर आपके दिमाग का फ्रंटल लोब कम सक्रिय है तो डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। हालाँकि, वैज्ञानिक यह नहीं जानते हैं कि यह अवसादग्रस्त लक्षणों की शुरुआत से पहले या बाद में होता है।
5 . चिकित्सा दशाएं :- कुछ स्थितियां आपको उच्च जोखिम में डाल सकती हैं, जैसे पुरानी बीमारी, अनिद्रा, पुराना दर्द, पार्किंसंस रोग, स्ट्रोक, दिल का दौरा और कैंसर।
6 . पदार्थ का उपयोग :- पदार्थ या शराब के दुरुपयोग का इतिहास आपके जोखिम को प्रभावित कर सकता है। जो लोग लंबे समय तक भावनात्मक या पुरानी शारीरिक पीड़ा महसूस करते हैं, उनमें अवसाद विकसित होने की संभावना काफी अधिक होती है।
डिप्रेशन का इलाज :-
1 . दवाइयाँ :- एंटीडिप्रेसेंट दवाइयाँ आमतौर पर डिप्रेशन के इलाज में प्रयोग की जाती हैं। ये दवाएं अस्थायी रूप से डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जाती हैं और इनका उपयोग सिर्फ डॉक्टर के सलाह के अनुसार किया जाना चाहिए।
2 . प्रतिरक्षा विशेषज्ञ से सलाह लें :-अपने स्थानीय प्रतिरक्षा विशेषज्ञ से अपनी समस्याओं के बारे में बात करना और दवाइयों के बारे में सलाह लेना भी उपयोगी हो सकता है।
3 . चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लें :- चिकित्सा विशेषज्ञों की मदद से एकाग्रता-माध्यम चिकित्सा या काउंसलिंग आमतौर पर डिप्रेशन के इलाज का हिस्सा होती है। यह सेशन संवेदनशील विषयों पर वार्तालाप करने और सही सलाह देने में मदद करता है।
4 . आयुर्वेदिक उपचार :- आयुर्वेदिक उपचार भी डिप्रेशन के इलाज में उपयोगी सिद्ध होते हैं। योग, प्राणायाम और आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करके इस समस्या से निपटा जा सकता है।
5 . ज्ञानार्जन विधियों का प्रयोग :- कुछ ज्ञानार्जन विधियों का उपयोग करके डिप्रेशन से निपटा जा सकता है। इनमें समाधि, मंत्र जप, प्रणायाम और निद्रा प्रणायाम शामिल होते हैं।
6 . नार्कोटिक उपचार :- कुछ नार्कोटिक उपचार, जैसे कि इलेक्ट्रो कंवल्सिव थेरेपी (ईसीटी), डीप ब्रेन स्टिमुलेशन और ट्रांसक्रैनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस) का उपयोग भी किया जाता है।